'परमाराध्य' परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य '

'परमाराध्य' परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती '1008'
द्वारा
धर्म अभिवेचन सेवालय (धर्म सेन्सर बोर्ड) की गाइडलाइन के सन्दर्भ में आयोजित
पत्रकार-वार्ता
तिथि- संवत् 2079 विक्रमी माघ कृष्ण द्वादशी दिनांक- 19 जनवरी 2023 ई. समय-अपराह्न 1 बजे

स्थान - श्रीशंकराचार्य शिविर, त्रिवेणी मार्ग, सेक्टर -3, माघ मेला क्षेत्र, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

धर्म अभिवेचन सेवालय (धर्म सेन्सर बोर्ड) की मार्गदर्शिका

हम सनातन धर्मावलम्बियों अर्थात् हिन्दुओं को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 की कण्डिका १ तथा अनुच्छेद 26 की कण्डिका (ब) द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के परिरक्षण एवं क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु धर्म अभिवेचन बोर्ड ने निम्न मार्गदर्शिका जारी कर रहे हैं। 
धर्म अभिवेचन सेवालय का उद्देश्य
धर्म अभिवेचन सेवालय का उद्देश्य यह निश्चित करना है कि -
◆ ऐसी किसी भी फ़िल्म अथवा चलचित्र को प्रदर्शन के लिए नहीं दिया जाना चाहिए जिसके किसी भाग में भी कोई दृश्य, शब्दावली, संवाद, गीत, हाव -भाव, भावार्थ कुछ भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति पर सन्देह व्यक्त करता हो और आलोचना, अनादर अथवा उपहास करता हो।
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र धर्म, संस्कृति एवं समाज के मूल्यों और मानकों के प्रति उत्तरदायी और संवेदनशील होनी चाहिए। 
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र जिसमें धर्म, संस्कृति, राष्ट्रीय मानबिन्दुओं का हनन या उपहास होता हो उसके प्रमाणन अथवा प्रदर्शन पर सम्यक् रूप से रोक लगाई जाए।
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र प्रमाणन व्यवस्था धार्मिक समरसता, धार्मिक आस्था का यथातथा मान रखने वाली, सामाजिक परिवर्तन के प्रति उत्तरदायी हों। 
 ◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र माध्यम ऐसा सन्तुलित, स्वच्छ और स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करें जो किसी धर्म या सांस्कृतिक परम्परा का उपहास या उसे विकृत रूप में प्रदर्शित करने वाला न हो और यथासम्भव फिल्म सौन्दर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण और चलचित्र की दृष्टि से अच्छे स्तर की हो। 
धर्म अभिवेचन सेवालय के कार्य
उपर्युक्त उद्देश्यों के अनुसरण में धर्म अभिवेचन सेवालय यह सुनिश्चित करेगा कि -

◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से धर्म, संस्कृति विरोधी प्रवृत्तियों, क्रियाओं, विकृतियों को न्यायोचित या उत्कृष्ट न ठहराया जाए।
 ◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से अपराधियों की कार्यप्रणाली, अन्य दृश्य या शब्द जिनसे कोई अपराध का या पाप अथवा धर्मविरुद्ध आचरण करना उद्दीप्त होने की सम्भावना हो, चित्रित न की जाए। 
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से धर्म के प्रति विरोध, धार्मिक प्रवृत्तियों को कुकृत्य, धर्म या संस्कृति के साथ छेड़छाड़ या अवमानना या उपहास अथवा उसके प्रति हीनता प्रेरक वचन, उद्गार, शब्द, उक्ति या भाव को न्यायोचित ठहराने या गौरवान्वित करने वाले दृश्य या कथावस्तु न दिखाई जाए। 
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से मूलतः मनोरंजन प्रदान करने के लिए धर्म को विकृत रूप से मन्त्र, श्लोक छन्द, शास्त्रीय वचनों को निरर्थक या वर्जनीय दृश्य के साथ या सन्दर्भ में न फिल्माया जाए और ऐसे दृश्य न दिखाए जाए जिनसे वर्तमान या आगामी पीढ़ियों के लोग   धर्म के प्रति संवेदनहीन होने अथवा अधार्मिक होने हेतु प्रेरित हों। 
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से अशिष्टता, अश्लीलता और दुराचारिता को गौरवान्वित करके मानवीय संवेदनाओं तथा धर्म, संस्कृति, परम्परा को चोट न पहुँचाई जाए। 
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र में महिला एवं पुरुष कलाकारों के फिल्माए वस्त्र दृश्य भारतीय मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अश्लीलता को बढ़ावा देने वाले न हों तथा सुष्ठु भाषा के संवादों वाले हों। दो अर्थों वाले शब्द न रखे जाए जिनसे नीच प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता हो।
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र में महिलाओं के साथ लैंगिक हिंसा जैसे बलात्संग की कोशिश, बलात्संग अथवा किसी अन्य प्रकार का उत्पीड़न या इसी किस्म के दृश्यों से बचा जाना चाहिए तथा यदि कोई ऐसी घटना विषय के लिए प्रासंगिक हो तो भी ऐसे दृश्यों को कम से कम रखा जाना चाहिए और उन्हें न ही विस्तार से दिखाना चाहिए और न ही ऐसे दृश्य के फिल्मांकन के समय कोई धार्मिक स्तोत्र, श्लोक, छन्द, वाक्य उपयोग करना चाहिए.
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र में धार्मिक परिसर, उपलक्ष, चिह्न, आदि का उपयोग कामविकृति, कामोत्तेजना, कामाचार के दृश्य में नहीं होना चाहिए। 
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र में जातिगत, धार्मिक या अन्य समूहों के लिए अवमानना पूर्ण दृश्य प्रदर्शित या शब्द प्रयुक्त नहीं किए जाने चाहिए। 
◆ धार्मिक अथवा साम्प्रदायिक फ़िल्म अथवा चलचित्र में वर्ण, आश्रम, जाति, रूढ़ि, प्रथा या परंपरा के विषय में धार्मिक एवं साम्प्रदायिक विशेषज्ञों से संपृक्त धर्म अभिवेचन सेवालय ही प्रकाश डाल सकता है अतः इस विषय में फ़िल्म सेन्सर बोर्ड को धर्म अभिवेचन सेवालय की विशेषज्ञता का लाभ उठाने हेतु उससे परामर्श करना चाहिए। 
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र में ऐसे दृश्य या शब्द नहीं प्रस्तुत किए जाने चाहिए जिससे किसी व्यष्टि या समाज या धर्म, संस्कृति या परम्परा की मानहानि या अवमानना होती हो।  

धर्म अभिवेचन सेवालय यह भी सुनिश्चित करेगा कि -
◆ फिल्मों के शीर्षक धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले या धार्मिक आस्था को ठेस पहुँचाने वाले न हों।  
◆ फ़िल्म अथवा चलचित्र में धार्मिक (वैदिक, सामाजिक, ग्रामीण) किसी भी देवी देवता, महापुरुषों, ऋषि, आचार्य का अनादर, उपहास, अवहेलना अथवा मजाक न उड़ाया गया हो तथा शास्त्र अथवा परम्परा से विरुद्ध इनका चरित्र चित्रण, वर्णन, कथा, स्वरूप न दिखाया गया हो।

हमारी कार्यशैली होगी झोंको, टोको, रोको

हमारी कार्यशैली झोंकना, टोकना और रोकना की होगी। झोंकने का अर्थ है कि हम पहले अपनी बात उन तक पहुँचाएंगे। यदि इससे बात नहीं बनी तो टोकेंगे और इसके बाद उन्हें रोकने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।

नोट - धर्म अभिवेचन सेवालय का कार्य केवल फिल्म / चलचित्र / धारावाहिकों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में होने वाले नाट्य मंचन अब ध्यान से और धर्म की मर्यादा को विचार कर  सम्पादित करने होंगे।
स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में ऐसे कोई भी पाठ्य क्रम होंगे तो उनको हटवाए जायेंगे । ऐसी कोई भी चीज जो भारतीय संस्कृति और भारतीय धर्म परम्परा को खण्डित करने का कार्य करेगी उस पर कार्यवाही की जाएगी।
वेब सिरीज़, ऑनलाइन प्लेटफार्म , OTT मंच आदि पर धर्म संस्कृति विरोधी विषयवस्तु न आने दें। यदि कोई विषय वस्तु उक्त प्लेटफार्म पर आती है, तो प्रस्तुतकर्ता, स्टेक होल्डर के विरुद्ध भी धर्म अभिवेचन सेवालय अपनी कार्यवाही सुनिश्चित करेगी।
धर्म अभिवेचन सेवालय के सदस्य
संरक्षक - परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज 1008 
01. प्रमुख - सुरेश मनचन्दा जी (मीडिया अनुभवी) 
सदस्यगण - 
02. डॉ पी.एन. मिश्र जी (वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट) 
03. स्वामी चक्रपाणि जी महाराज (सनातन धर्म के प्रखर प्रवक्ता) 
04. मानसी पाण्डेय (अभिनेत्री) 
05. तरुण राठी जी (उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद) 
06. कैप्टन अरविन्द सिंह भदौरिया जी (सामाजिक विषयों के विशेषज्ञ) 
07. प्रीति शुक्ला जी (संस्कृत संस्कृति मर्मज्ञ) 
08. डॉ. गार्गी पण्डित जी (सनातन धर्म विशेषज्ञ) 
09. डॉ. धर्मवीर जी (इतिहास पुरातात्विक व पूर्व निदेशक आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया)